पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपाई जी को पवन श्रद्धांजलि देते हुए में मेरे शब्दों में मेरी लिखी हुई कविता सुनाना चाहता हु...


पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपाई जी को पवन श्रद्धांजलि देते हुए में मेरे शब्दों में मेरी लिखी हुई कविता सुनाना चाहता हु...

कल जो मैंने देखा वोह शायद छलावा ही था,
मुझे पते है वह किसीका बुलावा ही था.
नजदीक जाने की हिमत न थी 
हट जाने की हैसियत न थी 
दूर से देखने का सामर्थ्य न था
आँख बंधे बैठने की जरूरियात क्या थी.
आसपास और कोई आसरा न था 
जो देखा वो कोई दूसरा न था
जीवन से नाता तोडा मैंने मोत से नाता जोड़ा मैंने 
क्युकी ...
ये मोत कोई सफर से काम थोड़ी न था.
कल जो मैंने देखा.....
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हर किसी को जीने की वजह चाहिए..
वजह न हो तो जोवन से रिहा चाहिए 
जीवन तो है वह मधुर कहानी 
जिसे सुनने का बहाना चाहिए 
गलियारों में जीने का सहारा चाहिए
उस चीज़ को पाने का इरादा चाहिए
सबको गले लगाने की चाहत चाहिए
कोई एक मोड़ पे आके रुक जाने की हिमत चाहिए
यह जीवन कोई कायरो का खेल नहीं
इसे निभाने की हेसियतर चाहिए...


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