ऐसी थी हमारी आज़ाद एयरवेज ..
१९४७ के हवाई जहाज ...
भारत की आज़ादी के टाइम पे भारत में करीबन सरकारी और प्राइवेट मिलकर १० से १२ एयरलाइन्स थी क्या आप यकीं करेंगे की बैलगाड़ी के देश में इतनी विमान सेवाए थी..दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने तक इंडिया ने अमेरिका के पास से डकोटा डीसी -३ तरह के हजारो हवाईजहाज लिए थे.जिनकी कीमत वाकये कम थी.. बहुत पैसेवाले वह विमान खरीद के एयरलाइन्स चलाने का सपना देखने लगे.अगस्त १९४७ तक भारत में १०० से भी ज्यादा डकोटा विमान उड़ने लगे और बात यही खत्म नहीं होती मैसूर ,हैदराबाद,और जोधपुर के राजा नवाब के प्राइवेट जेट्स तो अलग उड़ रहे थे.आज़ादी के बाद बड़ी छोटी मिलके करीबन ८-९ एयरलाइन्स का सरकार ने राष्ट्रीयकरण कर डाला जिसका साधारण रूप से "इंडिया एयरलाइन्स " के नाम रखा गया.]
देश की पहेली एयरलाइन्स टाटा के पहले पायलट जमशेदजी टाटा खुद थे उसका भी नाम इंडियन एयरलाइन्स रखा गया.इम्पीरियल एयरवेज नामकी ब्रिटिश एयरवेज लंदन और दिल्ली के बिच बाकायदा पैसेंजर जेट्स चलती थी.इस प्लेन में हनिबल प्रकार की सीटिंग व्यवस्था थी(निचे का फोटो)जिसमे लेफ्ट और राइट सामान रखने के डेक थे और रबर के लाइफ जैक्ट्स भी थे.यह विमान लंदन से दिल्ली का सफर करीबन ३ दिन में काटते जबकि स्टीमर २१ दिन लेता था.
१५ अगस्त १९४७ के दिन भारत में १४-१५ एयरपोर्ट थे जिसके रनवे आज के किसी एक्सप्रेस हाईवे से मिलते जुलते थे.टर्मिनल का देखाव आप निचे फोटो में देख लीजिये..
ऐसी थी हमारी आज़ाद एयरवेज ..
भारत की आज़ादी के टाइम पे भारत में करीबन सरकारी और प्राइवेट मिलकर १० से १२ एयरलाइन्स थी क्या आप यकीं करेंगे की बैलगाड़ी के देश में इतनी विमान सेवाए थी..दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने तक इंडिया ने अमेरिका के पास से डकोटा डीसी -३ तरह के हजारो हवाईजहाज लिए थे.जिनकी कीमत वाकये कम थी.. बहुत पैसेवाले वह विमान खरीद के एयरलाइन्स चलाने का सपना देखने लगे.अगस्त १९४७ तक भारत में १०० से भी ज्यादा डकोटा विमान उड़ने लगे और बात यही खत्म नहीं होती मैसूर ,हैदराबाद,और जोधपुर के राजा नवाब के प्राइवेट जेट्स तो अलग उड़ रहे थे.आज़ादी के बाद बड़ी छोटी मिलके करीबन ८-९ एयरलाइन्स का सरकार ने राष्ट्रीयकरण कर डाला जिसका साधारण रूप से "इंडिया एयरलाइन्स " के नाम रखा गया.]
देश की पहेली एयरलाइन्स टाटा के पहले पायलट जमशेदजी टाटा खुद थे उसका भी नाम इंडियन एयरलाइन्स रखा गया.इम्पीरियल एयरवेज नामकी ब्रिटिश एयरवेज लंदन और दिल्ली के बिच बाकायदा पैसेंजर जेट्स चलती थी.इस प्लेन में हनिबल प्रकार की सीटिंग व्यवस्था थी(निचे का फोटो)जिसमे लेफ्ट और राइट सामान रखने के डेक थे और रबर के लाइफ जैक्ट्स भी थे.यह विमान लंदन से दिल्ली का सफर करीबन ३ दिन में काटते जबकि स्टीमर २१ दिन लेता था.
१५ अगस्त १९४७ के दिन भारत में १४-१५ एयरपोर्ट थे जिसके रनवे आज के किसी एक्सप्रेस हाईवे से मिलते जुलते थे.टर्मिनल का देखाव आप निचे फोटो में देख लीजिये..
ऐसी थी हमारी आज़ाद एयरवेज ..
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